ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम 
अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम, (15 अक्टूबर 1931 – 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाaना जाता है | वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे।
इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे |
जब हम समस्याओ और कठिनाईओ का सामना करते है तब हमें अपने अंदर के साहस और ताकत के बारे में पता चलता है।
अगर सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो सबसे पहले सूरज की तरह तपना सीखो।
देखिये भगवान् भी उन्ही की मदद करता है जो स्वयं कठोर परिश्रम करता हैं , ये नियम बिलकुल स्पष्ट है।
सरकार चाहे राज्य की हो या केंद्र की , चुन कर ही बनती है इसका मतलब ये हमारा दायित्व है की हम एक अच्छे लीडर का चुनाव करे।
कार्य दिल से करे क्योकि जो व्यक्ति अपने दिल से कार्य नहीं करता है वह हांसिल तो करता है किन्तु बस खोखली चीजे।
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते किन्तु अपनी आदत बदल सकते है और निश्चित रूप से आपकी आदत आपका भविष्य बदलेगी।
सपने वो नहीं जो सोते हुए देखे जाए बल्कि सपने तो वो है नींद ना आने दे।
महान सपना देखने वालो के महान सपने पुरे होते है।
अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आपको एक चित्त होकर निष्ठावान होना पड़ेगा।
अंग्रेजी भाषा आवश्यक है क्योकि विज्ञान के मूल काम अंग्रेजी में है लेकिन मेरा ये विश्वास है की आने वाले दो दशक में विज्ञान के मूल काम हमारी भाषाओ में आना शुरू जाएंगे तब हम जापानियों की तरह आगे बड़ पाएंगे।
काला रंग भावनात्मक रूप से बुरा होता है किन्तु ब्लैक-बोर्ड विद्यार्थियों की जिंदगी ब्राइट करता है।
यदि चार बातो का ध्यान रखा जाय तो कुछ भी पाया जा सकता है , एक महान लक्ष्य , दूसरा ज्ञान , तीसरा कठिन परिश्रम और चौथा दृढ़ता।
कृत्रिम सुख की बजाय ठोस उपलब्धियों पर समर्पित रहिये।
युद्ध किसी भी समस्या का स्थायी हल नहीं हो सकता है
देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लास रूम के आखिरी बेंच पर मिल सकता है।
प्रश्न पूछना विद्यार्थियों की खास विशेषताओं में से एक है इसलिए विद्यार्थियों को चाहिए की वे बिना डरे प्रश्न पूछे।
एक व्यक्ति तब बड़ा बन जाता है जब उसका सिग्नेचर (हस्ताक्षर) ऑटोग्राफ बन जाता है।
कभी कभार क्लास बंक भी करनी चाहिए क्योकि जब भी मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो ये मेरे मार्क्स नहीं है बल्कि ये तो वो सुखद यादे है जो मुझे अच्छा महसूस कराती है।
एक अच्छी पुस्तक हज़ारो दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्छा दोस्त एक लाइब्रेरी के बराबर होता है।
मुझे पक्का यकीं है जब तक किसी ने असफलता की कड़वी गोली ना चखी हो वो सफलता के लिए पर्याप्त महत्वकांक्षा नहीं रख सकता है।
Nice on
ReplyDelete